शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे अपने पिता के नक्शेकदम पर हैं। अब वो सीधे तौर पर मार-पिटाई की बात करने लगे हैं। दिल्ली यूनिवर्सिटी में विनायक दामोदर सावरकर की मूर्ति लगाए जाने पर उद्धव ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि अगर कोई सावरकर पर विश्वास ना करें तो उसे खुलेआम पीटना चाहिए। अब सवाल ये उठता है कि क्या ऐसा बयान देकर उद्धव लिंचिंग को बढ़ावा दे रहें है।

दरअसल दिल्ली यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष शक्ति सिंह ने आर्ट्स फैकल्टी गेट पर चुपके से रातों-रात विनायक दामोदर सावरकर, सुभाष चंद्र बोस और भगत सिंह की मूर्तियां स्थापित की थी। जिसे कॉलेज प्रशासन ने हटाने के लिए कहा, मगर उसके बाद यूनिवर्सिटी में सावरकर को लेकर सियासी बवाल उठ गया। एनएसयूआई ने इसके विरोध में सावरकर की मूर्ति को जूतों की माला पहनाई और कालिख पोती।

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इसी मामले पर बोलते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि जिन लोगों को सावरकर पर विश्वास नहीं है, उन्हें सार्वजनिक रूप से पीटना चाहिए, क्योंकि उन्हें भारत की स्वतंत्रता में सावरकर के संघर्ष और महत्व का एहसास नहीं है। यहां तक कि राहुल गांधी ने भी अतीत में वीर सावरकर का अपमान किया है।

‘सार्वजनिक रूप से पीटना चाहिए’ ये लिंचिंग जैसी मानसिकता लेकर जननेता होने का दावा करना कहाँ तक ठीक है। इस देश में कई लोग है जो महात्मा गांधी को भी नहीं मानते, यहां तक कि सविंधान निर्माता भीम राव आंबेडकर का भी खुलेआम अपमान करने से पीछे नहीं हटते। आए दिन महापुरुषों की मूर्ति तोड़ी जाती है।

गौरतलब है कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नेता और डूसू अध्यक्ष शक्ति सिंह ने शक्ति सिंह ने कहा था कि मूर्ति लगाने के लिए डीयू प्रशासन से कई बार मांग की गई, लेकिन सबने उनकी बात को अनसुना कर दिया।

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बता दें कि दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्रसंघ का चुनाव 12 सितंबर को होगा। डूसू चुनाव का नोटिफिकेशन जारी हो गया है। जिसके चलते दिल्ली यूनिवर्सिटी के नॉर्थ कैंपस में बीते मंगलवार रात को चुपके से लगी विनायक दामोदर सावरकर की मूर्ति स्थापित कर दी गई थी।

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