नरेंद्र मोदी युवाओं को सलाना 2 करोड़ रोजगार देने के नाम पर सत्ता में आए थे। उनके कई वादों में ये वादा भी काफी सुहाना था और अच्छे दिनों के सपने की ओर लेकर जाने वाला भी।
भारत में विश्व की सबसे बड़ी युवा आबादी रहती है (2011 की जनगणना के अनुसार 65% से ज़्यादा) तो इसका फायदा भाजपा को 2014 में हुआ।
लेकिन विडंबना ये है कि नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में रोजगार की स्तिथि पहले से बदतर होती जा रही है। हर स्तर पर लोगों को रोजगार की समस्या से जूझना पड़ रहा है। और हाल ही में सामने आए आकंड़े बता रहे हैं शिक्षित युवाओं की जमात में बेरोजगारी बढ़ती जा रही है।
वार्षिक श्रम बल सर्वे और सेंटर फॉर मोनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (सीएमआईई) के वार्षिक आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2011-12 से 2015-16 के दौरान ग्रेजुएट छात्रों में बेरोजगारी की दर 5.8% से 8.4% पर पहुँच गई है।
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वहीं, पोस्ट-ग्रेजुएट छात्रों का भी यही हाल है। वर्ष 2011-12 से 2015-16 के दौरान पोस्ट-ग्रेजुएट छात्रों में बेरोजगारी की दर 5.7% से 8.5%.तक पहुँच गई है। मतलब ग्रेजुएट से पोस्ट-ग्रेजुएट छात्रों में बेरोज़गारी लगभग 2.7% के करीब बढ़ी है।
2014 में छात्रों की बीच नरेंद्र मोदी को लेकर उत्साह देखा गया था। उन्हें युवाओं से जुड़ने और उनके लिए सोचने वाला प्रधानमंत्री माना जा रहा था।
लेकिन उन्होंने और उनकी पार्टी के नेताओं ने युवाओं को रोजगार के अवसर ना होने पर पकोड़ा तोड़ने से लेकर पान की दुकान खोलने तक की सलह दे डाली।
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अमित शाह ने तो 2014 के वादों को जुमला बता डाला और अब इस लिस्ट में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का नाम भी जुड़ चुका है। और अब श्रम बल सर्वे और सीएमआईई की आंकडें ने इस सरकार की हकीकत युवाओं के सामने लाकर रख दी है। इसलिए अब ये कहना मुश्किल हो गया है कि 2019 में ऊंट किस करवट बैठेगा।
Andhe bhakto ko dekhna chaiye jinhe gua gobar mutt ke ilawa kuch nazar nahi aata
Even M.Tech. students from IIT are committing suicide. If government is unable to provide jobs to the students of its own institutions the what is the need for higher education. Government should close all those institutions which are needless and wasting time of promising students.