उन्नाव पीड़िता के एक्सीडेंट मामले में बीजेपी ने अब जाकर अपने विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को पार्टी से निष्कासित किया है। मगर अभी तक सरकार की तरफ से किसी भी मंत्री या पार्टी के किसी बड़े नेता ने पीड़िता का हाल लेने की ज़हमत नहीं उठाई है। वहीं इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को 7 दिनों में अपनी रिपोर्ट देने का आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव केस से जुड़े सभी मामलों को दिल्ली ट्रान्सफर कर दिया है। इसका मतलब ये कि अब कोर्ट भी इस मामले में कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है।
इसीलिए उसने मामले की गंभीरता को देखते हुए सभी मामलों पर खुद ही संज्ञान लिया है। इस मामले में ही शुरू से योगी सरकार की नज़रअंदाजी देखी जा सकती है। इसी नज़रअंदाजी पर पत्रकार विनोद कापड़ी ने सवाल उठाए है।
IB की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा- कार और ट्रक का एक्सीडेंट ‘हादसा’ नहीं बल्कि ‘साजिश’ थी
उन्होंने लिखा- पहले FIR तक दर्ज नहीं की फिर लड़की को आत्मदाह की कोशिश करनी पड़ी। पिता की ह’त्या गवाह की मौत सेंगर का लगातार बचाव फिर ट्रक कांड और एक बार भी लड़की से ना मिलना पहले दिन से दिख रहा है कि योगी लड़की नहीं, सेंगर के साथ खड़े हैं। सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद क्या योगी को CM बने रहना चाहिए?
पहले FIR तक दर्ज नहीं की
फिर लड़की को आत्मदाह की कोशिश करनी पड़ी
पिता की हत्या
गवाह की मौत
सेंगर का लगातार बचाव
फिर ट्रक कांड
और एक बार भी लड़की से ना मिलना
पहले दिन से दिख रहा है कि योगी लड़की नहीं,सेंगर के साथ खड़े हैं।SC के फ़ैसले के बाद क्या योगी को CM बने रहना चाहिए?— Vinod Kapri (@vinodkapri) August 1, 2019
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव रेप पीड़िता एक्सीडेंट मामले में स्वत संज्ञान लेते हुए सुनवाई की। केस की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) रंजन गोगोई ने मामले में केंद्र सरकार के सॉलिसिटर जनरल से रिपोर्ट मांगी थी। जिसके जवाब में यूपी सरकार के वकील तुषार मेहता ने कहा कि मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई है।