टीवी एंकरों ने तीन तलाक के मुद्दे पर तो जमकर आवाज़ उठाई। मगर इन्हीं महिला एंकर की फ़ौज ने कठुआ और उन्नाव मामले पर चुप्पी साध ली ।
हिंदी मीडिया चैनलों में हर रोज कोई ना कोई डिबेट होती रहती है। मसलन चिदंबरम गए जेल अब अगला नंबर किसका?, पीओके अब हमारा है, तीन तलाक को तलाक जैसे मुद्दे पर बहस होती है। मगर क्या अभी तक टीवी पर नज़र आने वाली किसी भी एंकर ने ये हिम्मत जुटाई कि वो कठुआ से लेकर उन्नाव पर सवाल कर सके?
यही नहीं पिछले महीने मोदी सरकार में मंत्री रहे स्वामी पर जो शारीरिक शोषण के आरोप लगे इनमें हिंदी पट्टी की ज्यादतर महिला एंकरों ने चुप्पी ही साध रखी है। इन्हें सोशल मीडिया पर अन्य मुद्दों पर बोलने में तो दिलचस्पी पर है मगर ये बीजेपी से जुड़े या कहे सत्ता से जुड़े किसी भी नेता से ना टकराना ही बेहतर समझती है।
जब उन्नाव पीड़िता ने बलात्कार पर बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर सवाल उठाए तब वो शांत थी।
कठुआ मामले में जब बलात्कारियों के समर्थन में रैली निकाली तब वो शांत थी और अब
जब शाहजहांपुर में लॉ छात्रा के साथ शारीरिक शोषण का आरोप लगा तब वो शांत है। बाकि मामलों में कोर्ट की सुनवाई पूरे हुए बिना ये एंकर मंदिर मस्जिद मुद्दे पर जमकर चर्चा करते है।
आजकल एंकर खुद ये तय करता है कि उसे बोलना है कि नहीं, स्वामी के मामले में लॉ छात्रा ने इतना बड़ा खुलासा किया, मगर एंकर मौन रहे।
इसकी वजह यही है कि ज़्यादातर एंकरो को सत्ता पक्ष से डर और लालच है. उन्हें डर होता है कि अगर ऐसे मामलों पर आवाज उठाएंगे तो उन्हें भी बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है जैसे अन्य कई पत्रकारों को दिखाया गया। मगर यही एंकर तब एक्टिवेट हो जाते है जब सरकार महिलाओं से जुड़ा कोई फैसला लेती है।
गौरतलब हो कि बीजेपी नेता और मोदी सरकार में मंत्री रहे स्वामी चिन्मयानंद पर लॉ की छात्रा द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच होने के आदेश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार को आदेश देते हुए कहा कि सरकार इस मामले में एसआईटी (विशेष जांच दल) का गठन करे और चिन्मयानंद पर छात्रा द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच करे, जांच की निगरानी इलाहाबाद हाईकोर्ट करेगा।
बता दें कि पिछले महीने 23 अगस्त को हॉस्टल से लापता हुई लॉ छात्रा ने स्वामी चिन्मयानंद पर शोषण के आरोप लगाए थे। छात्रा के पिता ने स्वामी चिन्मयानंद क खिलाफ अपहरण और जान से मारने की धमकी देने का केस दर्ज कराया था। इसके बाद 30 अगस्त को राजस्थान में एक युवक के साथ मिली यहां पर एक न्यायाधीश ने उससे बातचीत की थी।
सुनवाई के दौरान पीड़िता के वकील ने कोर्ट को बताया कि उसे राजस्थान के दौसा में बरामद किया गया था। इसके बाद महिला वकील ने कोर्ट से गुजारिश की कि उसे पीड़िता से मिलना चाहिए।
इस दौरान छात्रा ने कहा था कि वह घर वापस जाना नहीं चाहती है और उसके परिजनों को भी दिल्ली बुला लिया जाए। इसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि छात्रा को सुरक्षा मुहैया कराई जाए।
How can they speak against their boss bjp who fulfill their needs.
हमे शर्म आती है मिडिया ऐसे दोगुले रवैयेपर…!
मीडिया पर अब जनता का भरोसा उठ गया है यही एक समय यही मीडिया था जिस से अधिकारी मंत्री, नेता डरते थे, और अब ये डरने लगे हैं।
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धंधा है भाई ,,,,,,इसमें किसी के दुख दर्द की भावनाओ की बात करना व्यर्थ है।
BJP main members or MP, MLA in vardaton ko kata hai news nahi sawal hongay kiyu ki BJP ki party keep opposite koi nahi jayega. sab ko rupiya dekar unka moh bandh kar diya hai. isliya Judge police news editors inka kaha mantey hai aur chup rahtey hai.