उन्नाव और कठुआ जैसे रेप केस पर बेटी बचाओ का नारा देने वाली बीजेपी ही बेटी के साथ इंसाफ नहीं कर पा रही है। मोदी सरकार की आम नागरिक से लेकर सियासी पार्टियों तक में चारों तरफा आलोचना हो रही है।

इन रेप के मामले को लेकर मोदी सरकार पर सवाल उठने लगे हैं कि अब बेटियां बचाने की बात अब सिर्फ नारे तक ही सीमित रह गई है।

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल पिछले पांच दिनों से राजघाट पर अनशन करके केंद्र सरकार से मांग कर रही हैं कि “बलात्कार करने वालों को 6 महीने के भीतर फांसी की सजा का प्रावधान हो।” लेकिन मोदी सरकार का कोई नुमाईदा अभी तक स्वाति के पास नहीं पहुंचा है।

जो काम सरकार को करना चाहिए वो काम देश भर में जागरूक बेटियां बलात्कारियों को सजा दिलाने की मांग के लिए सड़कों पर प्रदर्शन कर रही हैं। मगर बीजेपी सरकार उन्नाव केस में अपने विधायक को बचाने का भरसक प्रयास कर रही है, कठुआ में बलात्कार करने वालों के लिए नारे लगाए जा रहे हैं। इसपर बीजेपी पर सवाल उठना आम बात है कि ये सरकार रेप पीड़ितों के साथ है या बलात्कारियों के साथ?

बेटी बचाने वाली सरकार में ऐसा क्यों हो रहा है कि नाबालिग से बलात्कार करने वाले बीजेपी विधायक के खिलाफ सभी सबूत होने के बावजूद उसे गिरफ्तार नहीं किया गया? इसमें एक ही सवाल उठता है कि हमारे प्रधानमंत्री को बेटियाँ प्यारी क्यों नहीं हैं? एक बेटी (स्वाति मालीवाल) भूखी प्यासी ‘रेप रोको’ कानून मांग रही है क्या जुर्म कर रही है। लेकिन बीजेपी उसपर भी राजनीती कर रही है।

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