केंद्र की मोदी सरकार भले ही लाख दावे करे कि देश के बड़े हिस्से को खुले में शौच से मुक्त कर दिया गया है, लेकिन इस दावे में कितनी सच्चाई है इसकी एक बानगी फ़िरोज़ाबाद के शिकोहाबाद में देखने को मिली। जहां घर में शौचालय न होने से परेशान एक युवती ने ख़ुदकुशी कर ली।
ख़बरों के मुताबिक, घटना शिकोहाबाद की ग्राम पंचायत रहचटी के मजरा शिव नगर की है। जहां एक 11 वीं की छात्रा हेमा ने घर में शौचालय न होने से परेशान होकर फांसी लगाकर ख़ुदकुशी कर ली। मृतका का पिता अवनीश आगरा में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करता है। जिसने नई आबादी में 2 मंज़िला मकान बनवाया था, लेकिन पैसों की कमी की वजह से वह घर में शौचालय नहीं बनवा सका।
बताया जा रहा है घर में शौचालय न होने की वजह से मृतका और उसके परजनों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। हाल ही में हुई बारिश के बाद तो खेतों में जलभराव हो गया था जिसकी वजह से परेशानियां बढ़ गई थीं। परिजनों ने बताया कि उन्होंने घर में शौचालय बनवाने के लिए कई बार गुहार भी लगाई थी लेकिन उनकी गुहार को अनसुना कर दिया गया।
आसपास के लोगों ने बताया कि घर में शौचालय बनवाने को लेकर हेमा की बुधवार सुबह मां से कहासुनी हो गई। कुछ देर बाद जब छोटे भाई-बहन स्कूल चले गए और मां पशुओं को बांधने चली गई। इसी बीच हेमा ने दरवाजा बंद कर आंगन में पड़े टट्टर पर मां की साड़ी से फांसी का फंदा बनाया और झूल गई। मां घर लौटी तो बेटी को फंदे पर लटका देख उसकी चीख निकली तो लोगों की भीड़ जमा हो गई।
सूचना पर पुलिस ने अंदर से बंद दरवाजा खुलवा कर शव फंदे से उतारा। लेकिन परिजनों ने पोस्टमार्टम कराने से मना कर दिया। जिसके बाद पुलिस ने शव परिजनों के सुपुर्द कर दिया और परिजनों ने उसका अंतिम संस्कार कर दिया।
ग़ौरतलब है कि शौचालय के अभाव में ख़ुदकुशी की यह ख़बर ऐसे समय में आई है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी महत्वकांक्षी योजना ‘स्वच्छ भारत अभियान’ के तहत देश के 90 फीसदी घरों में शौचालय बनवाने का दावा कर रहे हैं। उनका दावा है कि उनके सत्ता में आने से पहले देश के केवल 40 फीसदी घरों में ही शौचालय थे।
उन्होंने अपनी सरकार का बखान करते हुए कहा कि अब तक स्वच्छ भारत अभियान के तहत लगभग 4.15 लाख गांवों, 430 जिलों, 2800 शहरों, 19 राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों को खुले में शौच से मुक्त घोषित कर दिया गया है। पीएम मोदी भले ही आंकड़ों के ज़रिए देश को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ़) बता रहे हों, लेकिन शिकोहाबाद की इस घटना ने उनके इन दावों पर सवालिया निशान लगा दिया है।