जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) से लापता छात्र नजीब अहमद को ढूँढने के बजाए सीबीआई ने हाथ खड़े कर दिए हैं। इसके विरोध में नजीब की माँ फातिमा के साथ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सीबीआई दफ्तर के बाहर प्रदर्शन किया।

प्रदर्शन के दौरान बोलता हिंदुस्तान से नजीब की माँ ने बातचीत की और बताया कि ‘उन्हें सीबीआई से अब कोई उम्मीद नहीं है। इसके साथ उन्होंने ये भी कहा ‘प्रधानमंत्री मोदी को मुस्लिम महिलाओं की याद सिर्फ तीन तलाक के वक़्त आती है, उन्हें मैं नहीं दिखाई देती जो पिछले दो साल से सड़कों पर इंसाफ मांग रही हूँ।

क्या नजीब के मिलने की उम्मीद ख़त्म हो रही है?

उम्मीद तो बहुत है मुझे पूरा यकीन है मेरा बेटा वापस आएगा रही बात जांच की तो सीबीआई ने जांच ठीक से नहीं की है। अगर जांच ठीक से हुई होती तो नजीब 24 घंटे में सबके सामने होता। आखिर क्या वजह है सीबीआई मुझसे कुछ कहती है और कोर्ट में जवाब कुछ देती है।

मोदी को एक माँ की परवाह न सही मगर देश की इतनी बड़ी यूनिवर्सिटी से एक लड़का गायब हो जाता उसे खोज नहीं पाते है। ये क्या सरकार की नाकामी नहीं है।

अगर नजीब का केस बंद हो जाता है तो अगला कदम क्या होगा?

सीबीआई की औकात नहीं है की वो केस बंद कर दे। सीबीआई अपनी नाकामी छुपा रही है, वो सरकार के दबाव में है। क्योंकि इन लोगों ने कोई जांच तो की नहीं है। इसलिए शर्म के मारे ये केस बंद करना चाहते है, हम बस ये चाहते है कि सीबीआई ये मान ले उनसे कुछ नहीं हो पायेगा। इसलिए हम मांग करते है कि कोर्ट की निगरानी में एक कमेटी बनाई जाए जो नजीब मामले की निष्पक्ष जांच करे।

प्रधानमंत्री हर छोटी सी बड़ी बात पर ट्वीट करते है क्या कभी नजीब के मामले कोई आपसे बात हुई ?

प्रधानमंत्री की आप बात मत करिए। उन्हें मुस्लिम महिलाएं सिर्फ तीन तलाक के वक़्त याद आती है। मेरे जैसी कई मुस्लिम महिला जो सड़को पर इंसाफ मांग रही हैं उनके लिए PM मोदी क्यों नहीं बोलते। मैंने कई बार उन्हें ट्वीट किया बात करने की कोशिश की, मगर उन्होंने कुछ नहीं बोला मोदी ने ये हक़ खो दिया की मैं उन्हें प्रधानमंत्री मानू।

मोदी सिर्फ मन की बात करते है, इन्होने आजतक किसी की मन की बात नहीं सुनी है? हमने इतिहास में ऐसा प्रधानमंत्री नहीं देखा। इसलिए मैं कहती हूँ ‘बेऔलादी हुकूमत बेऔलादी सरकार’ ये क्या जाने औलाद का दर्द क्या होता है।

क्या किसी बीजेपी नेता ने नजीब के मामले आपसे बात की ?

नहीं, किसी ने मुझसे बात नहीं की। हाँ जो विपक्ष के नेता है वो जरुर सदन में नजीब का मुद्दा उठाते रहे है। मगर बीजेपी का कोई भी नेता नजीब की आवाज़ नहीं बना और मुझे नहीं लगता वो कभी बात करेंगें।

नजीब का क्या हुआ होगा किस हाल में होगा?

नजीब इंशाअल्लाह आएगा और ज़रूर आयेगा। मगर मैं एक बात ज़रूर बोलूगीं, सीबीआई की उस टीम को इस्तीफा दे देना चाहिए जो इस मामले की जांच कर रहे है इन्हें शर्म आनी चाहिए। सीबीआई डायरेक्टर को इस मामले पर बोलना चाहिए आखिर ऐसा कौन सा दबाव है जिसके पीछे वो कुछ भी बोलने को तैयार नहीं होते है।

जिन लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज हुई क्या उनसे पूछताछ हुई?

कभी किसी से कोई पूछताछ नहीं हुई और न ही पुलिस ने किसी पर कोई एक्शन नहीं लिया मैं यही कहती हूँ मेरा बच्चा वापस दे दो, मत करो किसी पर कार्यवाई मुझे इंसाफ चाहिए। मैंने तो यहां तक कहा कि मैं सारे केस वापस ले लूंगी बस मुझे मेरा बच्चा लौटा दो।

मीडिया ने आपका साथ दिया क्या वो नजीब की आवाज बनी?

मीडिया पहले साथ थी मगर नोटबंदी के बाद वो चुप हो गई, उसके बाद मीडिया मोदी के हाथों की बिक गई, उसने मेरा साथ नहीं दिया। नजीब के लापता होने में मोदी सरकार से लेकर पुलिस, सीबीआई सब ज़िम्मेदार है।

क्योंकि अगर सिर्फ शक के आधार पर पांच लोगों को गिरफ्तार किया जा सकता है तो नजीब के खोजने में कितनी देर लगेगी और मीडिया चाहे तो सरकार पर दबाव बनवाकर ऐसा मुमकिन कर सकती है कि जिससे नजीब का पता लग जाये मगर वो ऐसा नहीं करेगी।

बेटे की तलाश में नजीब की माँ दिन-रात लड़ रही है और निकम्मी CBI इस केस को बंद करवाना चाह रही है!

बता दें कि 16 अक्टूबर 2016 को नजीब अहमद से आरएसएस के छात्र संगठन एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर मारपीट की थी। जिसके बाद से वह ग़ायब है। जेएनयू के जिन 9 छात्रों पर नजीब पर हमला और उसके बाद अपहरण करने का आरोप लगा था।

मगर पिछले दो सालों से ज्यादा वक़्त गुजर जाने के बाद सीबीआई उनसे पूछताछ तक नहीं कर पाई है। देश की सबसे उच्च कोटि की जाँच एजेंसी होने का दावा करने वाली सीबीआई अब क्लोज़र रिपोर्ट फाइल करने की तैयारी कर रही है।

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