भाजपा के सरकारों पर केंद्र से राज्यों तक प्रधानमंत्री मोदी के करीबी माने जाने वाले उद्योगपति गौतम अडानी को फायदा पहुँचाने के आरोप लगते रहे हैं। महाराष्ट्र में भी कुछ ऐसी ही स्तिथि दिखाई दे रही है।

यहाँ राज्य की भाजपा सरकार सरकारी बिजली के दाम तो घटा रही है लेकिन अडानी की बिजली के दाम बढ़ाकर किसान से व्यापारी तक की कमर तोड़ रही है।

2018-19 के लिए दक्षिण मुंबई में सप्लाई होने वाली राज्य की सरकारी कंपनी ‘बृहन्मुंबई इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट’ की बिजली की दरों में 6 से 8 प्रतिशत की कमी की गई है, जबकि उत्तर मुंबई में सप्लाई होने वाली अडानी इलेक्ट्रिसिटी और टाटा पावर की बिजली की दरों में 1 प्रतिशत की वृद्धि की गई है।

महाराष्ट्र विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष आनंद कुलकर्णी ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह घोषणा की। आनंद कुलकर्णी ने अगले दो साल के लिए राज्य में घरेलू, कृषि और औद्योगिक इस्तेमाल की बिजली की नई दरें घोषित कीं।

ये दरें 1 सितंबर से लागू हुई हैं। प्रेस कॉन्फ्रेंस में आयोग के सदस्य आई.एम. बोहरी, मुकेश खुल्लर और सदस्य सचिव अभिजित देशपांडे भी थे।

सवाल है कि अगर निजी कंपनियों से मिल रही बिजली महंगी है तो सरकार ने उन्हें बिजली सप्लाई करने की अनुमति ही क्यों दी? और अगर बिजली सप्लाई में सरकार दाम घटा सकती है तो निजी कंपनियों को दाम बढ़ाने की इजाज़त क्यों दी जा रही है? महाराष्ट्र सरकार काम जनता के लिए कर रही है या गौतम अडानी के लिए!

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महाराष्ट्र में किसानों की स्तिथि किसी से छुपी नहीं है। इसी साल जुलाई में आए राज्य के अधिकारिक आकड़ो के मुताबिक, पांच महीनों में महाराष्ट्र में 1,092 किसानों ने आत्महत्या कर ली है।

किसान फंसलों के सही दाम ना मिलने, कर्जमाफी न होने और बढ़ती महंगाई के कारण मौत को गले लगा रहे हैं। उसके बावजूद अडानी इलेक्ट्रिसिटी अपनी बिजली की दरों के दाम बढ़ा रही है।

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