प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस नदी को अपनी माँ का दर्जा दिया था, उसी ‘गंगा’ नदी पर वर्ल्ड वाइड फंड यानी WWF की रिपोर्ट सामने आई हैं। जिसमें देश की “सबसे पवित्र” मानी जाने वाली नदी को दुनिया की “सबसे संकटग्रस्त” नदी बताया गया है।

वर्ल्ड वाइड फंड की रिपोर्ट की माने तो देश की दूसरी नदियों की तरह गंगा में भी बाढ़ और फिर सूखे की स्थिति लगातार दिख रही है।

वहीँ इससे पहले गंगा को लेकर एक आरटीआई भी चौकाने वाला खुलासा हुआ था। आरटीआई के जरिए इंडिया टूडे को गंगा पुनरूद्धार मंत्रालय से मिले जवाब के मुताबिक, गंगा घाटों के पानी में कोलिफॉर्म बैक्टीरिया का दूषण 58 फीसदी बढ़ गया हैं।

नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के मालवीय ब्रिज से लिए पानी के सैम्पल्स में बैक्टीरिया दूषण आधिकारिक मानकों से 20 गुना अधिक पाया गया।

बता दें, कि 1000 मिलीलीटर पानी में 2,500 से ज्यादा कोलिफॉर्म माइक्रोऑर्गेनिज्म्स की मौजूदगी इसे नहाने के लिए असुरक्षित बना देती है।

बता दें, भारत के कुल कृषि क्षेत्र का एक तिहाई- 565,000 वर्ग किलोमीटर के गंगा क्षेत्र की जमीन पर खेती की जाती है । पांच देशों के 11 राज्यों में 40-50 करोड़ से भी अधिक लोगों का भरण-पोषण करती हैं।

देश की सबसे लम्बी और ग्रंथो में पवित्र मानी जाने वाली गंगा उत्तराखंड के गंगोत्री हिमनद से निकलती हुई, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड से होती हुई पश्चिम बंगाल की खाड़ी में मिलती है।

भारत में 2,071 किमी जिसमें उत्तराखंड में 110 किमी, उत्तर प्रदेश में 1,450 किलोमीटर, बिहार में 445 किमी और पश्चिम बंगाल में 520 किमी का सफ़र तय करती है ।

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