इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज किये जाने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तरप्रदेश सरकार से जवाब मांगा है। साथ ही साथ ही कोर्ट ने इस मामले पर सरकार को जवाब के लिए एक सप्ताह का समय दिया है। कोर्ट ने यह आदेश हरिशंकर पांडेय की जनहित याचिका पर सुनावई के दौरान दिया है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में दायार याचिका की सुनावाई करते हुए जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस राजेश सिंह चौहान की बेंच ने यह आदेश दिया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 19 नवंबर को होगी।

दरअसल इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज रखने के खिलाफ अब तक दो जनहित याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं। जिसमें से एक पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह आदेश जारी किया है।

याचिका में दावा किया गया है कि जिले के नाम परिवर्तन में यूपी राजस्व संहिता 2006 की धारा 6(2) का पालन नहीं किया गया है। याचिकाकर्ता एचएस पांडेय का आरोप है कि बिना आपत्तियां आमंत्रित किये ही जिला का नाम कैसे बदला जा सकता है। यह नियमों का उल्लंघन है।

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वहीं सरकार की तरफ से याचिका का विरोध किया गया है। राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता वीकेशाही के अनुसार यूपी राजस्व संहिता 2006 की धारा 6(2) में किसी राजस्व क्षेत्र के सीमाओं के परिवर्तन पर आपत्तियां आमंत्रित करने को निर्देशित किया गया है न कि नाम परिवर्तन के मामले पर।

अब न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद प्रतिवादियों को जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। गौरतलब हो कि उत्तरप्रदेश सरकार लगातार एक के बाद एक शहरों, रेलवे स्टेशनों, सरकारी इमारतों और योजनाओं के नाम को बदलने में लगी हुई है। नाम बदलने कि सूची में उन्हीं जगहों और इमारतों को शामिल किया जा रहा है जिनका नाम इस्लामिक है या इस्लाम से संबंध रखता है।

जानकारों के अनुसार सत्तारूढ योगी सरकार का ऐसा करने का उद्देश्य अपने हिन्दू वोटरों को लुभाने तथा राज्य में हिन्दुत्व की जड़े और अधिक गहरी करने का है। साथ ही यह एक सम्प्रदाय के खिलाफ सरकार के मनभेदों को भी दर्शाता है। ऐसे मुद्दे सरकार की नाकामियों को छुपाने तथा जनता को बुनियादी सवालों से दूर रखने में भी बड़ी भूमिका निभाते है।

साथ ही इसे सिर्फ और सिर्फ योगी सरकार से जोड़ कर देखना ठीक नहीं होगा। क्योंकि ऐसे करने में केंद्र की मोदी सरकार भी पीछे नहीं है। दरसल नाम बदलने की यह प्रक्रिया सबसे पहले केंद्र सरकार द्वारा किए जा रहें नामों के बदलाव के कारण ही चर्चा में आई थी।

जिसमें केंद्र सरकार ने कई सड़को और रेलवे स्टेशनों के नाम बदले थे। लेकिन हाल ही में यागी सरकार ने जो नाम बदले है उनका असर और प्रभाव लोगों पर अधिक पड़ा है. पुराने और प्रचीन नामों को दुबारा शहरों को देना लोगों को जम नहीं रहा है। सोशल मीडिया पर योगी सरकार के इस फैसले को लेकर उड़ाय जा रहे मजाक को देख कर भी हम इसे समझ सकते है। लेकिन सरकार है कि मानती ही नहीं।

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