सेंट्रल पैनल के 5 पदों में से 2-2 पर बढ़त के साथ एनएसयूआई और एबीवीपी अपनी अपनी जीत की आस लगाई हुई थी तभी कुछ ऐसा हुआ जिससे ना सिर्फ छात्रसंघ चुनाव में निष्पक्षता पर सवाल उठे बल्कि ईवीएम पर भी सवाल उठने लगे।
दरअसल जॉइंट सेक्रेटरी के पद पर कुल 8 उम्मीदवार थे और नौवें नंबर पर नोटा का विकल्प था लेकिन हैरान कर देने वाली बात रही कि 40 वोट दसवें नंबर पर पड़ा जो कोई विकल्प ही नहीं था।
DUSU मतगणना स्थगित किए जाने पर बोले आप नेता- जो EVM एक यूनिवर्सिटी का चुनाव नहीं करा पाया वो देश का चुनाव कैसे कराएगा
जब 10वें नंबर पर ना कोई कैंडिडेट और ना ही नोटा का विकल्प था तो यह वोट कैसे जा रहा था?
इससे सीधा सवाल उठता है- क्या ईवीएम टेंपरिंग करना इतना आसान हो गया है?
इससे नाराज होकर कांग्रेस विधायक और एनएसयूआई के पूर्व ‘राजस्थान प्रेसिडेंट’ धीरज गुर्जर लिखते हैं ‘छात्रसंघ चुनाव में भी अगर ईवीएम से छेड़छाड़ करके चुनाव जीतने की कोशिश की जाए तो इससे बड़ी शर्म की बात कोई नहीं है।’
विधानसभा और लोकसभा के चुनाव में तो ईवीएम पर लगातार सवाल उठते रहे हैं लेकिन अब छात्रसंघ चुनाव में भी इसके मामले आने लगे।
EVM में गड़बड़ी के चलते DUSU मतगणना स्थगित, अलका बोलीं- जब-जब BJP हारती है, तब-तब EVM से छेड़छाड़ करती है
ईवीएम से छेड़छाड़ करना बेहद आसान काम हो गया है। इसी से नाराज होकर तमाम विपक्षी दल अब ईवीएम से चुनाव कराने के पक्ष में नहीं हैं।
कुछ दिनों पहले अधिकतर विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग से बैठक करके ईवीएम के प्रति सहमति जताई थी।