लोकसभा चुनाव में चुनाव आयोग से प्रधानमंत्री मोदी की शिकायत करने वाले आईएएस अधिकारी गोपीनाथ कन्नन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। साल 2012 बैच के आईएएस अधिकारी कन्नन का कहना है कि मैंने ये सेवा लोगों की आवाज बनने के लिए ज्वाइन की थी मगर मैंने पाया कि मैं अपनी आवाज ही खो चुका हूँ।

दरअसल केरल बाढ़ पीड़ितों को मदद करने के दौरान गोपीनाथ चर्चा में आए थे। तब उन्होंने अपनी पहचान छुपाकर आठ दिनों तक केरल में बाढ़ पीड़ितों की मदद की थी। गोपीनाथ 26 अगस्त को केरल मुख्यमंत्री राहत कोष में देने के लिए दादरा नगर हवेली की ओर से एक करोड़ रुपए का चेक देने केरल पहुंचे थे।

लेकिन चेक सौंपने के बाद वापस लौटने की बजाय कन्नन ने वहीं रुककर अपने लोगों की मदद करने का फैसला किया। यहां वह अलग-अलग राहत शिविरों में सेवा देते रहे।

उस दौरान उन्होंने अपने कंधे पर राहत सामग्री रखकर बाढ़ पीड़ितों तक पहुंचाया था। इस दौरान उनकी सोशल मीडिया पर खूब प्रशंसा हुई थी। वहीं लोकसभा चुनाव में उन्होंने चुनाव आयोग से अपने से बड़े अधिकारियों की शिकायत की थी कि उन्हें प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है। इसके बाद उनको कलेक्टर पद से हटाकर दूसरे विभाग की जिम्मेदारी दे दी थी।

फिलहाल कन्नन संघ प्रदेश दादरा नगर हवेली में तैनात थे। वहीं द प्रिंट से बात करते हुए कन्नन के एक बैचमेट ने बताया कि कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद से वो काफी परेशान चल रहें थे। वो बहुत चिंतित थे कि मौलिक अधिकारों को छीना जा रहा है मगर कोई भी एक सवाल नहीं कर रहा है। वो लगातार कह रहे थे कि ये सीधे आपातकाल है अगर लोगों के मौलिक अधिकार छीने जा रहें है तो।

कन्नन के साथी ये बताते है कि कन्नन पूर्व आईएएस शाह फैसल की गिरफ़्तारी पर काफी सदमे में आ गए थे। उनका कहना था कि फैसल जैसे इंसान को कैसे हिरासत में लिया जा सकता है जोकि एक अधिकारी रहें है।

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