भारतीय बैंकों का हज़ारों करोड़ रूपए लेकर भागे उद्योगपति विजय माल्या ने बुधवार को बड़ा खुलासा करते हुए ब्रिटिश कोर्ट के बाहर मीडिया से कहा कि “वो भारत छोड़ने से पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली से मिले थे।“

माल्या के इस बयान के बाद मोदी सरकार और खासकर वित्त मंत्री अरुण जेटली सवालों के घेरे में गए हैं। अरुण जेटली और मोदी सरकार को बैंकों का पैसा लेकर भाग रहे उद्योगपतियों को विदेश भागने को लेकर संदेह की नजर से देखा जा रहा है।

अब तक केंद्र सरकार पर विजय माल्या को भगाने का आरोप लग रहा था। लेकिन ये बयान देकर माल्या ने सभी आरोपों को सच में बदल दिया है।

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इस मामले के सामने आने के बाद विपक्ष के साथ में खुद बीजेपी के नेता अरुण जेटली पर हमलावर है। भाजपा सांसद कीर्ति आजाद ने ट्वीट करके कहा है कि, “जब जेटली विजय माल्या से मिले तो फिर क्या हुआ?

जब अरुण जेटली को मालूम था कि विजय माल्या लंदन जा रहा है और उसके ऊपर करोड़ों का कर्ज़ है तो फिर जेटली ने ईडी और सीबीआई जैसे एजेंसियों को इसकी सूचना क्यों नहीं दी?”

कीर्ति आजाद ने वित्त मंत्री अरुण जेटली से सवाल पूछा कि, “माल्या को विदेश भागने से रोका क्यों नहीं? दाल में काला है या फिर पूरी दाल काली है? मामला गड़बड़ है।”

केंद्र सरकार पर इससे पहले भी माल्या की मदद करने के आरोप लग चुके हैं। आरोप है कि केंद्र सरकार सीबीआई का इस्तेमाल कर माल्या के खिलाफ लंदन के कोर्ट में चल रहे मामले को कमज़ोर कर रही है।

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जिन धाराओं के अंतर्गत मुकदमा दायर किया गया है और जिस तरह सबूत कोर्ट में पेश किये जा रहे हैं वो मामले को कमज़ोर कर रहे हैं।

बता दें, कि विजय माल्या पर भारतीय बैंकों का 9,990 करोड़ रुपिए का कर्ज़ बकाया है जिसे बिना चुकाए वो भारत छोड़कर इंग्लैंड भाग गए थे।

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