अमीरों से ज्यादा गरीबों, मजदूरों और माध्यम वर्गीय परिवार को ताकत देने वाला बिस्कुट पारले भी आर्थिक मंदी का सामना कर रहा है। यही वजह है कि कंपनी 8 से 10 हजार लोगों को नौकरी से निकाल सकती है। कंपनी ने साफ़ कहा है कि जैसे आर्थिक हालत इस वक़्त बने हुए उसे देखते हुए हमें भविष्य में फैसला लेना पड़ेगा।
दरअसल पारले कंपनी का कहना है कि बिस्किट के बिक्री में लगातार गिरावट जारी है। पारले प्रोडक्ट्स के हेड मयंक शाह ने कहा कि हमने प्रति 100 किलो ग्राम या उससे नीचे की मात्रा में बिस्कट पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को कम करने की मांग की है।
मोदीराज-2 में ऑटो सेक्टर में आर्थिक मंदी! हीरो, टाटा और मारुती के बाद अब हुंडई ने भी बंद किया प्लांट
लेकिन अगर सरकार हमारी मांग नहीं मानती तो हमारे पास कोई और विकल्प नहीं बचेगा और हमें अपने कुल कार्यबल से कम से कम 8 से 10 हजारों कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाना होगा। क्योंकि धीमी गति से बिक्री का हम पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।
बाज़ार में पहले से ज्यादा आर्थिक मंदी के चलते अफरा-तफरी का माहौल है। ऑटो सेक्टर ने पहले ही अपने प्लांट बंद कर दिए है। जिसके चलते कई लाख लोग एक झटके में बेरोजगार हो चुके है। कपड़ा उद्योग से लेकर रिटेल प्रोडक्ट्स से जुडी कई कंपनी आर्थिक मंदी का सामना कर रही है।
आर्थिक मंदी में ‘अंडरवियर’ तक नहीं खरीद पा रहे लोग मगर PM मोदी ‘विकास’ के सपने दिखा रहे हैं
इसपर मयंक ने कहा कि जीएसटी लागू होने से पहले प्रति 100 किलो ग्राम बिस्किट पर 12 फीसद की दर से टैक्स लागू होता था हमें उम्मीद थी कि दो साल में जीएसटी व्यवस्था लागू होने पर भी इस तरह के रेट तय जायेंगे जिससे आसानी हो। मगर हमारी सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया। सरकार ने उसी 12 फीसद को बढाकर 18 फीसद कर दिया। अब जब कंपनी बिस्किट के दाम बढ़ा रही है तो बिक्री में लगातार गिरावट का सामना करना पड़ रहा है।