मोदी सरकार 9 दिसम्बर (सोमवार) को नागरिक संशोधन बिल लोकसभा में पेश करेगी। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल (CAB) को मंजूरी दे दी थी, जिसके जरिए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर- मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता दी जा सकेगी।
सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल और एनआरसी के खिलाफ रविवार को लखनऊ में सामाजिक कार्यकर्ता, समाजसेवी लोग और वकील बैठक करेंगे। ये बैठक लखनऊ के कैफ़ी एकेडमी में रणनीति बनाने को लेकर होगी।
इस बैठक से जुड़े लोगों का कहना है कि 9 दिसंबर को लोकसभा में यह बिल पेश किया जाएगा और मोदी सरकार की पूरी कोशिश होगी कि इसे संसद से पास कराया जा सके। लेकिन यह बिल पूरी तरह से गैर-संवैधानिक बिल है। जो धर्म के नाम पर नागरिकता को परिभाषित करता है। इस बिल का विरोध होना चाहिए, क्योंकि यह संविधान के खिलाफ है। अगर यह बिल पास होता है तो देश में वो मुसलमान जिनके पास जमीन नहीं है और विस्थापित मजदूरों की जिंदगी मुश्किल भरी हो जाएगी।
दरअसल, कैब बिल के तहत छह समुदायों जिनमें हिन्दू, इसाई, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी धर्म से संबंधित लोगों को सरकार की तरफ से भारतीय नागरिकता दी जाएगी। इस बिल से सबसे ज्यादा मुस्लिम समुदाय प्रभावित होगा। क्योंकि सरकार ने इस बिल में मुस्लिमों को शामिल नहीं किया है। इसीलिए विपक्ष इन बिल को भारतीय संविधान में निहित धर्मनिरपेक्ष सिद्धान्तों के खिलाफ बताते हुए विरोध कर रहा है।
लखनऊ में होने वाली बैठक में सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल के सभी पहलुओं पर चर्चा की जाएगी। यह बैठक अमीक जामेई और अब्दुल हफ़ीज़ गॉधी के बुलावे पर रखी गई है।