देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु की बेटी और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की आज पुण्यतिथि है। वही इंदिरा गांधी जिन्होंने भारतीय राजनीति में आलाकमान जैसे शब्द को काफी प्रभावी बना दिया।

इतना प्रभावी कि आज 34 साल बाद जब कांग्रेस सत्ता में तो नहीं है मगर इसी फार्मूले को देश की राजनीति में फॉलो किया जाता है।

हर साल की तरह इस साल भी दिल्ली में दिवाली पटाखों के साथ साथ ठंड ने भी दस्तक दे दी है। साल 1984 में कुछ ऐसा हुआ था जब इंदिरा गांधी को उन्हीं के ही बॉडीगार्ड ने गोलियों से छलनी कर दिया था और कई लोगों ने उसी गोलियों की आवाज को पटाखों की आवाज समझ बैठे थे।

मगर आज के दिन यानी की 31 अक्टूबर को दुनिया में आयरन लेडी के नाम से मशहूर इंदिरा गांधी जमीन पर खून से लथपथ पड़ी हुई थी, जिसके बाद उन्हें एम्स ले जाया गया जहां काफी कोशिशों के बाद इंदिरा गांधी को बचाया नहीं जा सका।

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के निजी सलाहकार, आरके धवन जिनका हाल में ही निधन हुआ,उन्होंने बीबीसी पर इंदिरा गांधी पर हुए हमले को लेकर एक आर्टिकल लिखा था।

जिसमें उन्होंने लिखा- पार्टी ने फैसला लिया है कि इंदिरा गांधी की सुरक्षा व्यवस्था से सिखों को अलग कर दिया जाए। जब उन्होंने ये सुना तो बहुत नाराज़ हुईं। उन्होंने आदेश दिया कि ऐसा कुछ नहीं किया जाए।

जिन सिख सुरक्षाकर्मियों को हटाया गया था उन्हें वापस बुला लिया गया। मगर ये भी एक दुखद बात है कि इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिखों को जिस तरह से निशाना बनाया गया उससे कई जिंदगियां तबाह हो गईं। अगर इंदिरा बच जाती तो शायद सिखों पर जुल्म नहीं होता।

धवन लिखते है मैं इंदिरा गांधी के साथ 1962 से लेकर उनकी अंतिम सांस तक रहा। वो बहुमुखी प्रतिभा की धनी थीं। जोश से भरपूर। अपने देश और लोगों के लिए उनके दिल में प्यार था। वे विचारों से पूरी तरह धर्मनिरपेक्ष थीं।

अपनी धर्मनिरपेक्ष सोच के कारण ही इंदिरा गांधी बहुसंख्यक हिंदुओं और अल्संख्यक मुस्लिमों, सिखों के बीच किए जाने वाले किसी भी भेदभाव का कड़ा विरोध करती थीं। यहां तक कि जान से मारने की धमकी मिलने के बाद भी पार्टी के कहने पर उन्होंने अपने निजी सिख अंगरक्षकों को बदलने से इंकार कर दिया।

स्वर्ण मंदिर घटना के बाद पार्टी ने फैसला लिया कि उनकी सुरक्षा व्यवस्था से सभी सिखों को अलग कर दिया जाए। जब उन्होंने ये सुना तो बहुत नाराज हुईं। उनके आदेश के अनुसार जिन सिख सुरक्षाकर्मियों को हटा दिया गया था उन्हें वापस बुला लिया गया। वे बेहद बहादुर महिला थीं।

आज भी जब इंदिरा गांधी को उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें याद किया जाता है तो  84 के सिख दंगों के जख्म भी हरे हो जाते हैं, सिख दंगों में मारे गए लोगों के पीड़ित परिवार इंसाफ के लिए अभी इंतजार में है।

हालाकिं सिख दंगों के लिए कांग्रेस की मनमोहन सरकार ने माफ़ी तो मांगी और एक सिख को प्रधानमंत्री बनाकर एक संदेश भी देने की कोशिश की।

इंदिरा गांधी को भले ही आपातकाल और दंगों की वजह से याद किया जाता है मगर मौत की आशंका के बावजूद इंदिरा ने मरते दम तक धर्मनिरपेक्षता दिखाई।

1 COMMENT

  1. Indira was a Hitler lady with many sex scandals exposed after the end of Congress… There are many decisions which made India on backfoot like emergency,attack on Golden temple via Indian army, attack on saint outside parliament who was asking for protection of cows…

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