‘इमरजेंसी’ नहीं, ये ‘इमरजेंसी’ का बाप है! जैसा प्रतिरोध चाहिए, वैसा कहां है? ये थोड़ा बहुत सोशल मीडिया पर भड़ास निकालने का सिलसिला भी उनकी मर्जी से चल रहा है!
जिस दिन चाहेंगे, इसे भी बंद करा देंगे! ठीक, उसी तरह जिस तरह टीवी न्यूज चैनलों और ज्यादातर अखबारों में असहमति की आवाजों का उठना बंद करा दिया!
उनके पास सत्ता की बेलगाम ताकत है और साथ में एक खास तरह का बड़ा संगठन भी है! आपके पास क्या है? वक्त बहुत नाज़ुक है!
जेटली बोले- सरकार CBI मामले में दखल नहीं देगी, फिर आधी रात अधिकारियों के तबादले किसने किए?
सीबीआई जैसी ‘स्वायत्त संस्था’ की जो गति हुई, वह अन्य संस्थाओं के लिए भी एक संकेत है! अब संस्थाएं बची ही कितनी हैं?
‘लोकपाल’ बनने वाला है, ‘शासन’ और ‘बड़े घराने’ की मर्जी का! पता नहीं, निर्वाचन आयोग EVM की रखवाली करेगा या अपनी? ख़बरें अच्छी नहीं हैं!
‘मोदी के लोगों पर आरोप लगाने वालों को छुट्टी पर भेजा जा रहा है, देश अब गुजरात बनता जा रहा है’
इस बीच, अगला शुक्रवार बहुत महत्वपूर्ण दिन बन गया है! उस दिन CBI के हटाये गए निदेशक की याचिका पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई होनी है! जो कुछ होगा, वह भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय बन सकता है, खुशनुमा या भयावह!
नोट- यह लेख वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश उर्मिल की फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है।