पिछले एक साल में प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। जिस तरह से केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ देशभर में अलग-अलग मुद्दों को लेकर विरोध सामने आया है और उपचुनावों में पार्टी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है उसके बाद पीएम मोदी की लोकप्रियता घटने के दावे किये जा रहे हैं।

अब चुनावी विश्लेषकों ने भी इस बात को कहना शुरू कर दिया है। वैश्विक अर्थशास्त्र और राजनीति पर व्यापक रूप से लिखने वाले अर्थशास्त्री और निवेशक रुचिर शर्मा ने दावा किया है कि नरेंद्र मोदी के 2019 में फिर से प्रधानमंत्री बनने की सम्भावना घट गई है।

बता दें, कि शर्मा 24 चुनाव कवर कर चुके हैं। शर्मा के पास भारत में दो दर्जन चुनावों को कवर करने का अनुभव हैं, यह काम वह 1990 से कर रहे हैं।

विश्वभर के समाचार पत्रों के लिए स्तंभकार के तौर पर लिखने वाले शर्मा ने पीटीआई को दिए एक खास साक्षात्कार में कहा है कि 2019 में नरेंद्र मोदी के फिर से चुने जाने की संभावना 99 फीसदी से 50 फीसदी पर आ गई है।

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उनका कहना है कि अलग-अलग बंटे विपक्ष के एकसाथ आने से ऐसे संकेत बन रहे हैं। अपनी आने वाली किताब ‘डेमोक्रेसी ऑन रोड’ के लिए काम कर रहे रुचिर शर्मा ने कहा कि 2014 में बीजेपी 31 फीसदी वोटशेयर के साथ जीती थी क्योंकि विपक्ष बंटा हुआ था, सीटों का शेयर असंगत था और वोट एक जगह केंद्रित थे।

80 लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश भारत का माइक्रोसोम्स बताते हुए रुचिर शर्मा ने कहा कि अगर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच राज्य में गठबंधन होता है तो वह चुनाव में सूपड़ा साफ कर जीतेंगे, गठबंधन नहीं होता है तो बीजेपी जीतेगी। शर्मा ने कहा कि उत्तर प्रदेश में अब भी जाति के आधार पर वोट दिया जाता है।

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शर्मा ने पीटीआई को दिये साक्षात्कार में कहा कि हालांकि इसमें नाटकीय रूप से परिवर्तन आया है। अब यह चुनाव 50…50 रह गया है और यह सब गठबंधन की संभावनाओं के कारण हुआ है। पूरी तरह से बिखरा हुए विपक्ष के साथ आने के संकेत दिखाई दे रहे है।

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