अपने विवादित बयानों के लिए मशहूर सुदर्शन न्यूज़ के संपादक सुरेश चव्हाण ने सुप्रीम कोर्ट पर आपत्तिजनक टिप्पणी की है। चव्हाण ने सुप्रीम कोर्ट के समलैंगिकता पर दिए गए फैसले की आलोचना करते हुए कहा इसे शर्मनाक बताया है।

इसके साथ ही चव्हाण ने कोर्ट का अपमान करते हुए कहा कि कोर्ट में धारा 370 पर फ़ैसला सुनाने की हिम्मत नहीं है।

बता दें कि भारतीय संविधान की धारा 370 के तहत जम्मू कश्मीर राज्य को विशेष स्वायत्तता हासिल है और इसके तहत राज्य में इंडियन पैनल कोड (आईपीसी) लागू नहीं होती।

धारा 377 पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, समलैंगिकता अब ‘अपराध’ नहीं

संपादक ने ट्विटर के ज़रिए कहा, “देश के सर्वोच्च न्यायालय पर आज मुझे शर्म है!! हिंदुस्तान धारा 370 पर फ़ैसला चाहता है, लेकिन कोर्ट धारा 377 पर फ़ैसला दे रही है. शर्मनाक! क्या यही प्राथमिकता है देश के सर्वोच्च न्यायालय की, या दम नही है”?

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने आईपीसी की धारा 377 पर फैसला सुनाते हुए समलैंगिकता को वैध कर दिया। कोर्ट के फ़ैसले के बाद अब भारत में दो वयस्क लोगों के बीच सहमति से बनाए गए समलैंगिक संबंध अपराध नहीं है।

कोर्ट के इस फैसले का आरएसएस समेत ज़्यादातर हिंदुत्ववादी संगठनों ने विरोध किया है।

सुरेश चव्हाण को भी हिंदुत्ववादी विचारक के रूप में देखा जाता है। वह अकसर अल्पसंख्यक समुदाय के ख़िलाफ़ बयानबाज़ी करते रहते हैं।

इससे पहले चव्हाण को धार्मिक भावनाएं भड़काने और माहौल बिगाड़ने के आरोप में गिरफ़्तार भी किया जा चुका है।

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