उन्नाव के रेप मामले में पहले बीजेपी विधायक पर बलात्कार का आरोप लगा। उसके बाद जम्मू बीजेपी के दो मंत्रीयों ने कठुआ मामले पर हिन्दू एकता मंच के साथ बलात्कारियों के समर्थन में रैली निकली और अब महिला का अपमान का मामला तमिलनाडु के राजभवन तक पहुंचा। जब एक महिला पत्रकार के तीखे सवाल पर राज्यपाल बनवारी लाल ने महिला पत्रकार के गाल सहलाने लगे , जिसके बाद महिला पत्रकार भड़क उठी और कहा कि राज्यपाल बिना मेरी सहमति के मेरे गाल सहलाना शुरु कर दिया जो कि गलत है।
जिसके बाद तमिलनाडु के राज्यपाल की चारों तरफा आलोचना झेलने के बाद तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने महिला से माफ़ी मांग ली है। राज्यपाल ने माफ़ी मांगते हुए बयान जारी किया ऐसा उन्होंने स्नेहवश किया था और इसका उद्देश्य एक अच्छे सवाल के लिए पत्रकार की तारीफ करना था।
एक बार को मान भी लिया जाये की ऐसा उन्होंने स्नेहवश किया मगर जिस तरह की हरकतें आजकल बीजेपी नेता करते हुए नज़र आ रहे है। उससे उन पर भी वैसा ही सवाल उठता जैसा बीजेपी के अन्य नेताओं पर उठ रहा है। क्योकिं आखिर में तमिलनाडु के गवर्नर भी उसी पार्टी से आते है जिस पार्टी के विधायक बलात्कार के मामले फसें तो उन्हें गिरफ्तार करने में कई दिन लग गए और आखिर में हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी के बाद उन्हें सीबीआई ने गिरफ्तार किया।
क्या माफ़ी मांग लेने से उस महिला पत्रकार के अंदर का डर गायब हो जायेगा जो उन्होंने अपने 650 शब्दों के आर्टिकल में बयां किया है? क्या बीजेपी से आने वाले हर नेता इसी मानसिकता के साथ महिलाओं को स्नेहवश महिला की मर्जी के बिना छुते रहेंगें।
प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले से बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा दिया मगर आज उनके अपने नेता उसे उलटा करने में लगे हुए है। इस मामले महिला पत्रकार लक्ष्मी सुब्रमण्यम ने राज्यपाल की माफी स्वीकार कर ली है। मगर वे अब भी वह दलील मानने को तैयार नहीं जो राज्यपाल ने दी है।
महिला पत्रकार का ये कहना कि ‘मैंने अपने चेहरे को कई बार धोया है, लेकिन इस घटना से मुझे छुटकारा नहीं मिल पा रहा। पत्रकार ने किसी महिला को उसकी सहमति के बिना छूना या छूने की कोशिश करने को भी गलत ठहराया है। महिलाओं के साथ किस तरह से पेश आ जाये ये नेताओं और समाज को सीखने की ज़रूरत है चाहे वो महिला उम्र में कम हो या ज्यादा।