देश में मंदी अपने पैर धीरे धीरे पसारने लगी है। ऑटो सेक्टर की कई कंपनियों ने पहले ही अपने कई प्लांट में प्रोडक्शन रोक दिया है। अब एशिया की सबसे बड़ी पत्थर मंडी जोकि उत्तर प्रदेश के महोबा जिले में है उसपर भी अब ताला लग चुका है।

मीडिया में आई रिपोर्ट्स के अनुसार तालाबंदी के कारण करीब 2 लाख मजदूर बेरोजगार हो चुके है। इसमें सिर्फ मजदूर ही नहीं बल्कि पेट्रोल पंप पर काम करने वाले कर्मचारियों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

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दरअसल योगी सरकार की नई खनन निति के विरोध में ये तालाबंदी की गई है। इस वजह से 10 करोड़ की लागत से बने स्टोन क्रेशर्स की नीलामी की नौबत आ गई है। यूपी का महोबा जिला अपने पत्थर कारोबार के लिए जाना जाता है। जहां करीब 350 स्टोन क्रेशर लगे हुए है। मगर अब वहां ताला लग चुका।

क्रेशर मालिकों का कहना है कि योगी सरकार की नई खनन निति से पहाड़ के ठेकेदार और क्रेशर मालिकों की कमर टूट चुकी है। पत्थर व्यवसायियों ने सरकार की खनन नीति के खिलाफ 17 अगस्त से अनिश्चित्कालीन हड़ताल पर है। उनकी मांग है कि सरकार खनन नीति में बदलाव करे, ताकि सूबे का सबसे बड़ा क्रेशर उद्दोग सुचारू रूप से चल सके।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 17 अगस्त से हड़ताल पर बैठे व्यापारियों की वजह से राज्य की योगी सरकार को राजस्व की हानि हो रही हैं, वहीं करीब एक लाख मजदूरों का रोजगार छिन गया है। इनमें मजदूर, मैकेनिक, और पेट्रोल कर्मी शामिल हैं, पत्थर मंडी के व्यापारियों की हड़ताल के चलते मंडी में सन्नाटा छाया हुआ है। मंडी के एक दर्जन पेट्रोल पंपों पर सन्नाटा छाया रहा।

बता दें कि महोबा में करीब 300 पत्थर क्रेशर प्लांट संचालित है। इनसे सरकार को हर महीने से 60 करोड़ से अधिक का राजस्व मिलता है। वहीं, क्रेशर में खर्च होने वाली बिजली से भी सरकार को करीब 20 करड़ रुपये का फायदा होता है।

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