अर्थशास्त्री अरुण कुमार ने अर्थव्यवस्था में आई गिरावट पर चौकाने वाली बात कही है। उनका कहना है कि मोदी सरकार ने तीन साल में तीन बड़े झटके दिए है- जिसमें नोटबंदी, जीएसटी और बढ़ता हुआ एनपीए बहुत हद तक ज़िम्मेदार है। ऐसे में अगर कहा ये जा रहा GDP 5% तो वो गलत कह रहें है दरअसल ये है 0% ग्रोथ रेट है इसें ही मंदी कहा जाता है।
बीबीसी से बात करते हुए अरुण कुमार ने कहा कि पांच तिमाही पहले अर्थव्यवस्था 8% से बढ़ रही थी अब वो गिरते गिरते 5% पर आ पहुंची है। ये ऐसा नहीं है कि ये गिरावट अभी आई है।
मैं ये भी बता दूँ कि ये 5% से कम है क्योंकि जीडीपी का जो डेटा आता है जो संगठित क्षेत्र और प्राइवेट कंपनियों से आता है और इसमें असंगठित क्षेत्र आता नहीं है तो इसलिए मान लिया जाता है कि जैसे संगठित क्षेत्र वैसे ही असंगठित क्षेत्र भी बढ़ रहा है।
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मगर चारों तरफ से जो खबर आ रही है जैसे साइकिल इंडस्ट्री लुधियाना की है या शू इंडस्ट्री आगरा की है वहां पर असंगठित क्षेत्र बहुत बड़ी संख्या में बंद हो गया है। ऐसे में ये मान लेना कि जैसे संगठित क्षेत्र बढ़ रहा है वैसे ही असंगठित क्षेत्र बढ़ रहा है वो सही नहीं है।
साथ ही देश में जो असंगठित क्षेत्र है उसमें 94% लोग काम करते है और 45% उत्पादन होता है अगर ऐसे में जहां 94% लोग काम करते है वहां पर उत्पादन कम हो रहा है और वहां रोजगार कम हो रहा है तो उससे डिमांड कम हो जाती है।
ये जो डिमांड कम हुई ये नोटबंदी के बाद से शुरू हुआ है फिर 8 महीने बाद जीएसटी का असर पड़ा फिर एनपीए का असर पड़ा फिर एनबीएफसी का असर पड़ा तो यानी की तीन साल में तीन बड़े झटके लगे अर्थव्यवस्था को जिसकी वजह से बेरोजगारी बढ़ी है।
जैसा की सीएमआई के आकड़े दिखाते है कि 45 करोड़ लोग जो काम कर रहें वो घट के 41 करोड़ हो गए यानी की 4 करोड़ लोग रोजगार से बाहर हो गए जिनमें से ज्यादातर महिलाएं थी। साथ ही हमारे अर्थव्यवस्था में जो निवेश था वो 2012-13 में उचाई पर थी 37 %पर था वो 30% पर आ गया है। इसी वजह से अगर निवेश नहीं होगा तो अर्थव्यवस्था में ग्रोथ नहीं बढ़ती है।
इसीलिए मेरा मानना है कि ये जो समस्या है वो असंगठित क्षेत्र से शुरू हुई है मगर अब वो धीरे धीरे संगठित क्षेत्र पर असर डाल रही है जैसे एफएमसीजी वो कोई बहुत आइटम नहीं वो तो हर आदमी खरीदता है वहां पर भी ग्रोथ रेट कम हुई है।
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इसलिए क्योंकि लोगों के पास आमदनी कम है तो उसकी खपत कम कर रहें है दूसरी एक और बात है अगर हमारी अर्थव्यवस्था 5% या 6% से भी बढ़ रही तो ये बहुत अच्छी रफ़्तार है मगर खपत क्यों कम हो रही है खपत बढ़ते रहनी चाहिए निवेश क्यों गिर रहा है? वो भी 5 % की रफ़्तार से बढ़ना चाहिए।
मगर देखने में ये आया है कि खपत में जो गिरावट आई है और निवेश नहीं हो रहा है वो इसी को दर्शता है कि ग्रोथ रेट 5 या 6 % नहीं है वो 0% ग्रोथ रेट है क्योंकि किसी असंगठित क्षेत्र के आकड़े लिए ही नहीं जाते है जब हमारा ग्रोथ रेट नेगेटिव हो जायेगा तो उसे मंदी कहा जायेगा।
इसलिए अभी अधिकारिक आकड़े है वो अर्थव्यवस्था की धीमी रफ़्तार बार रहें है अगर इसमें असंगठित क्षेत्र को जोड़ लें तो फिर मंदी है। क्योंकि असंगठित क्षेत्र पीट गया है नोटबंदी के बाद फिट जीएसटी का भी असर पड़ा है हालाकिं उसमें असंगठित क्षेत्र नहीं आता है मगर फिर जीएसटी की जटिलताओं की वजह से असंगठित क्षेत्र डील नहीं कर पाता है।
जितने भी अधिकारिक एजेंसी है जैसे कि वित्त मंत्रालय है, RBI है इन सबने मान लिया कि अर्थव्यवस्था कमजोर हुई है वो अभी मंदी तो नहीं कह रहें मगर धीरे धीरे वो भी कहने लगेगें कि मंदी है। आरबीआई से पैसे लिए गए अपना रिकार्ड मेंटेन करने के लिए मगर असंगठित क्षेत्र के लिए कुछ नहीं हो रहा है, रोजगार बढ़ाने के लिए पैकेज नहीं जा रहा है। बल्कि असंगठित क्षेत्र के लिए पैकेज की घोषणा होनी चाहिए वो नहीं हो रहा है।
The opinion of Arun Kumar is biased .
GDP is in crisis but other sector neglected by govt. Modi may resign becouse in india drought came and killed more then 35 crore peaple in a month. India have no food capacity in flood of bihar. somany killed.
Even subramaniam swamy says the poor will demonstrate in the streets by march next year, so serious is the crisis.
एक अर्थशास्त्री का बयान है, सरकार को इसका उत्तर जरूर देना चाहिए।
Absolutely correct. What should we do to come out of this problem?
मेरे बीचर से यही सही होगा की सभी अर्थ शास्त्री एक साथ बैठ कर विचार करे और कोई न कोई JDP को आगे बढ़ाने के लिए रास्ता साफ करे और सरकार को भी इनके सलाह पर अमल करने आवश्यकता है
मेरा मानना है मंत्री हो या प्रधान मंत्री वो प़डा लिखा होना चाहिए ना कि मंदिरों मैं या मस्जिदों मैं या संघ के विचारो वाला. अगर ऐसा हुआ तो GDP और नीचे आयेगी. जब देश का IES और IPS के लिए इतना कठिन रास्ता है तो मंत्री संत्री के लिए ऐसे अयोग्यता क्यों. अपने आप सुधार आ जाएगा. प़डा लिखा देश का नौजवान जो अच्छी सोच रखता हो आज बेबस है ईन ग्वार जाहिल लोगों के आगे. कोई आदित्य नाथ देश का विकास नहीं कर सकता ना ही कोई इसतरह के विचारक मुस्लिम देश का विकास कर सकता केवल समानता का विचारक ही देश का विकास और उन्नती कर सकता है……. मेरा अपना राय है…
Yes. I fully agree with you. Indian government is making fool to 130 crore population.